जनसंख्या शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा
जनसंख्या शिक्षा से अभिप्राय परिवार, समाज, देश तथा संसार में जनसंख्या की स्थिति का अध्ययन करना है। जनसंख्या शिक्षा की धारणा अभी नवीन और विकसित अवस्था में है। इसका सम्बन्ध जनसंख्या के आकार, वृद्धि अथवा हास, संरचना, लैंगिक अनुपात तथा वैवाहिक आयु आदि के ज्ञान से है। सर्वप्रथम 1962 ई० में कोलम्बिया विश्वविद्यालय के प्रो० वादेन एस० थामस और फिलिप एम० हासर ने जनसंख्या शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम का अंग बनाने पर जोर दिया। 1964 ई० में इसी विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रशिक्षण विभाग के प्रो० स्लोम आर० वेलण्ड ने इसे जनसंख्या शिक्षा की संज्ञा दी और इसको विषय सामग्री तैयार की।यद्यपि 'जनसंख्या शिक्षा' शब्द का पर्याप्त प्रचलन हो गया है तथापि अभी तक 'जनसंख्या शिक्षा का न तो सामान्य रूप से स्वीकृत कोई अर्थ है और न ही कोई परिभाषा है। इसका सर्वप्रथम विशद वर्णन 1970 में युनेस्को की ओर से बैंकाक में आयोजित की जाने वाली 'जनसंख्या शिक्षा संगोष्ठी' द्वारा इस प्रकार परिभाषित किया गया-
"जनसंख्या शिक्षा एक शैक्षिक कार्यक्रम है जिसमें परिवार, समुदाय, राष्ट्र और सरकार के सन्दर्भ में जनसंख्या की स्थिति को इस प्रकार स्पष्ट किया जाता है कि छात्रों में उस स्थिति के प्रति तर्कपूर्ण एवं उत्तरदायित्त्वपूर्ण अभिवृत्ति एवं व्यवहार का विकास होता है।"
जनसंख्या शिक्षा को अनेक विद्वान परिवार नियोजन या यौन शिक्षा समझते हैं, परन्तु इन दोनों में बड़ा अन्तर है। जनसंख्या शिक्षा द्वारा बच्चों, युवकों और प्रौदों की जनसंख्या वृद्धि के कारणों एवं दुष्परिणामों का ज्ञान कराया जाता है और उनमें जनसंख्या नियन्त्रण और साथ ही उत्पादन में वृद्धि एवं वस्तुओं के सीमित प्रयोग की अभिवृद्धि का विकास किया जाता है जबकि परिवार नियोजन परिवार को सीमित रखने का एक कार्यक्रम है और यह कार्यक्रम जनसंख्या शिक्षा के बाद शुरू होता है। इसी तरह कुछ विद्वान जनसंख्या शिक्षा को यौन शिक्षा समझते हैं, जहाँ जनसंख्या शिक्षा में युवकों और प्राों को जनसंख्या वृद्धि के कारणों एवं दुष्परिणामों का ज्ञान कराकर उनमें जनसंख्या और नियन्त्रण तथा उत्पादन वृद्धि और वस्तुओं के सीमित प्रयोग की अभिवृद्धि का विकास किया जाता है। जबकि यौन शिक्षा में किशोरों को यौन शक्ति तथा इसके दुरुपयोग से होने वाली कठिनाइयों का ज्ञान कराया जाता है। अत: यह स्पष्ट है कि जनसंख्या शिक्षा न तो परिवार नियोजन है और न ही यौन शिक्षा यह दूसरी बात है कि इन दोनों से। सम्बन्धित बातों का समावेश जनसंख्या शिक्षा के अन्तर्गत किया जा सकता है।
जनसंख्या शिक्षा के सम्बन्ध में 1974 ई० में बुखारेस्ट में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया,जिसमें लगभग 135 देशों के 3500 सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस संगोष्ठी में यह सुनिश्चित किया गया था कि जनसंख्या शिक्षा का सम्बन्ध सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक उत्थान से तथा जनसंख्या नीतियाँ एवं कार्यक्रम राष्ट्र के विकास कार्यक्रमों से सम्बन्धित होना चाहिए। इस दृष्टिकोण से जनसंख्या शिक्षा जीवन स्तर उच्च बनाने तथा सुखी जीवन की सम्भावनाओं की वृद्धि करने वाली शिक्षा है। जनसंख्या शिक्षा मूलतः तीन शब्दों के योग से बनी है-जन संख्या शिक्षा जनसंख्या शिक्षा, जिसका अर्थ है- मानवीय शक्ति अथवा मानवीय संसाधन से सम्बन्धित शिक्षा।
अतः कहा जा सकता है कि जनसंख्या शिक्षा का सम्बन्ध जनसंख्या के आकार, वृद्धि अथवा ह्यस, संरचना, लैंगिक अनुपात तथा वैवाहिक आयु आदि के ज्ञान से है। इसी जनसंख्या शिक्षा में जनसंख्या वृद्धि और ास के कारणों, उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी भी सन्निहित है। यदि हम जनसंख्या शिक्षा के उपर्युक्त तथ्यों का विश्लेषण करें, तो हम कह सकते हैं कि इस शिक्षा में निम्नलिखित तत्त्व सम्मिलित हैं -
(i) जनसंख्या शिक्षा एक शैक्षिक कार्यक्रम है, जिसमें जनसंख्या के आकार में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप व्यक्तिगत तथा सामाजिक प्रभावों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है।
(ii) जनसंख्या शिक्षा, जनसंख्या की वृद्धि का व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन का अवसर देती है।
(iii) जनसंख्या शिक्षा, बालकों में जनसंख्या वृद्धि के प्रति सजगता एवं उचित दृष्टिकोण का विकास करने के लिए दी जाती है।
(iv) जनसंख्या शिक्षा, वर्तमान तथा भविष्य में व्यक्तिगत तथा सामाजिक जीवन स्तर को उच्च बनाने के लिए जनसंख्या की प्रक्रियाओं को समझने तथा उनका उचित मूल्यांकन करने में सहायक होती है।
जनसंख्या शिक्षा के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए उसकी कुछ परिभाषाएँ दी जा रही हैं-
विण्डरमैन के अनुसार-“जनसंख्या शिक्षा एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा शिक्षक बालकों को हैं। जनसंख्या प्रक्रिया की प्रकृति एवं अर्थ, जनसंख्या की विशेषताओं, जनसंख्या वृद्धि के कारण एवं परिणाम तथा इन जनसंख्या की वृद्धि एवं परिवर्तनों का अपने परिवार अपने समाज, राष्ट्र तथा विश्व पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों के सम्बन्ध में जानकारी दी जाती है।"
वी०के० आर०वी० राव के अनुसार-
"जनसंख्या शिक्षा केवल चेतना से ही सम्बन्धित नहीं वरन् इसके प्रति विकसित मूल्यों एवं दृष्टिकोणों के प्रति भी है ताकि इसकी गुणात्मक एवं मात्रात्मकता का ध्यान भी रखा जाए।"
डंकन के अनुसार-
"पर्यावरण में परिवर्तन, जनसंख्या के स्वरूप में परिवर्तन, जनसंख्या समस्या के अध्ययन तथा समाधान के उपाय तथा कारणों की पारस्परिकता से पारिस्थितिकी जटिलता का निर्माण होता है। इसके विवरण को ही जनसंख्या शिक्षा अथवा जनसंख्या जागरूकता कहते हैं।"
मसीआल्स के अनुसार-
" जनसंख्या शिक्षा ऐसे विश्वसनीय ज्ञान की विधियों का शिक्षण तथा सीखना है जो जनसंख्या के स्वरूप तथा जनसंख्या परिवर्तन के मानवीय परिणामों की खोज करती है।"