जनसंख्या शिक्षा के उद्देश्य
जनसंख्या शिक्षा एक मूल उद्देश्य है संसार की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियन्त्रण इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बच्चों युवकों और प्रौदों को जनसंख्या वृद्धि के कारणों, दुष्परिणामों और उसके नियन्त्रण का ज्ञान कराया जाता है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद, दिल्ली तथा राष्ट्रीय सेमीनार और सम्मेलन (National Seminar on Population Education (1968)1 में जनसंख्या शिक्षा के उद्देश्यों का प्रतिपादन किया गया।
जनसंख्या शिक्षा के उद्देश्य बहुआयामी हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं -
1. जनसंख्या वृद्धि की गति एवं कारणों का ज्ञान प्रदान करना जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को देश तथा विश्व स्तर की जनसंख्या का अध्ययन कराना है। यह शिक्षा आधुनिक संसार की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना के रूप में जनसंख्या वृद्धि की गति एवं कारणों का ज्ञान प्रदान करती है। इसमें जनसंख्या सम्बन्धी आँकड़ों के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि की दर और वर्तमान स्थिति का बोध कराया जाता है।
2. व्यक्ति और पारिवारिक जीवन को सुखी एवं सम्पन्न बनाना : जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य इस प्रतीति का विकास करना है कि वर्तमान समय में बड़े परिवार आवश्यक नहीं हैं तथा व्यक्ति और पारिवारिक जीवन को सुखी एवं सम्पन्न बनाने के लिए परिवार को सीमित किया जाना आवश्यक है। छात्रों को परिवार के आकार एवं रहन सहन के स्तर में सम्बन्ध तथा कम आय वाले बड़े परिवार को कठिनाइयों को बताकर उनमें छोटे परिवार की वांछनीयता के विचार को सुदृढ़ करना जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य है।
3. जीवन स्तर को उच्च बनाना : जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन स्तर उच्च बनाना है। यह तभी सम्भव है जब व्यक्ति का सामाजिक आर्थिक विकास करने के साथ भोजन, आवास, शिक्षा स्वास्थ्य तथा जीवन की अन्य सुविधाओं का विकास किया जाए तथा परिवार को सीमित रखने के लिए उन्हें जागरूक किया जाए। इसके लिए जनसंख्या शिक्षा के माध्यम से छात्रों में यह समझ विकसित करना। कि छोटे परिवार में ही उच्च जीवन स्तर सम्भव है।
4. जनसंख्या वृद्धि के कुप्रभावों से अवगत कराना : जनसंख्या शिक्षा का एक उद्देश्य छात्रों को जनसंख्या वृद्धि के कुप्रभावों से अवगत कराना है, क्योंकि जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव व्यक्ति के जीवन स्तर समाज, राष्ट्र तथा पूरे विश्व पर पड़ रहा है। अतः जनसंख्या शिक्षा के माध्यम से छात्रों का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक जीवन किस प्रभाव से प्रभावित हो रहा है, उन तथ्यों की जानकारी दी जाती है।
5. परिवार नियोजन के महत्त्व एवं विधियों का ज्ञान जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य परिवार नियोजन के महत्व एवं विधियों का ज्ञान प्रदान करना है। जनसंख्या शिक्षा के माध्यम से लोगों को यह बताना कि परिवार नियन्त्रित हो सकता है। बच्चों का पैदा होना भाग्य पर निर्भर नहीं है। इसके लिए शासन द्वारा चलाए जा रहे परिवार नियोजन आन्दोलन को समझाने का कार्य जनसंख्या शिक्षा करती है।
6. परिवार एवं शिशु कल्याण का ज्ञान: जनसंख्या शिक्षा का एक उद्देश्य परिवार एवं शिशु कल्याण का ज्ञान प्रदान करना है। जनसंख्या शिक्षा जनसंख्या वृद्धि में माँ और बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों से परिचित कराती है।
7. जनसंख्या एवं पर्यावरण से सम्बन्ध स्थापित करना जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य जनसंख्या एवं पर्यावरण में सम्बन्ध स्थापित करना है। इन दोनों में सम्बन्धों की जानकारी होने से छात्रों को जनसंख्या वृद्धि पर पर्यावरण का पड़ने वाला प्रभाव तथा इसके दुष्परिणामों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त छात्रों को पर्यावरण प्रदूषण के कुप्रभावों से अवगत कराकर जागरूक किया जा सकता है।
8. समग्र व्यक्ति का विकास श्रीमती वाडिया (अध्यक्ष, परिवार नियोजन संस्थान, मुम्बई) के अनुसार, "जनसंख्या शिक्षा के मानवीय सम्बन्ध तथा विकासात्मक उद्देश्य दोनों हैं तथा इन्हें भुलाया नहीं जा सकता है। उनके कहने का आशय व्यक्ति के समग्र विकास से है। जनसंख्या शिक्षा में मानव जीवन से अन्तः सम्बन्धित उन सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाता है जिनका सम्बन्ध सम्पूर्ण मानवीय अस्तित्व एवं उनके कार्यों से, बाह्य परिवेश व्यक्तिगत तथा पारिवारिक सम्बन्धों से हैं।"
9. जनसंख्या शिक्षा के अन्य पहलुओं से अवगत कराना जनसंख्या शिक्षा का एक उद्देश्य छात्रों को जनसंख्या शिक्षा से सम्बन्धित योजनाओं, कार्यक्रमों, नीतियों आदि के सम्बन्ध में अवगत कराना है। छात्रों में जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण रखने के दृष्टिकोण का विकास, जन्म और मृत्यु दर में असन्तुलन, भोजन, वस्त्र, मकान, रोजगार आदि पर जनसंख्या वृद्धि के कारण पड़ने वाले कुप्रभावों से अवगत कराना है। जनसंचार माध्यमों, रेडियो-दूरदर्शन के कार्यक्रमों की जानकारी देकर छात्रों को जनसंख्या शिक्षा के प्रति जागरूक किया जा सकता है।